हम तुमसे थोड़ा दूर क्या हुए,
तुमने तार कहीं और जोड़ लिए,
वायु पे हम करके आएं हैं सफर,
अटके इस वृक्ष पर, कर रहे suffer ,
आएगा जल्दी ही हमें लेने कोई,
आखें मेरी हैं नहीं, तो क्या सोई क्या रोई,
पर अगर कोई व्यक्ति विशेष नहीँ आया लेने,
इंतज़ार के पड़ जाएंगे लेने के देने,
आसमान से दिखता था सारा जहाँ,
पर अब कटी-पतंग, लटकती यहाँ |
तुमने तार कहीं और जोड़ लिए,
वायु पे हम करके आएं हैं सफर,
अटके इस वृक्ष पर, कर रहे suffer ,
आएगा जल्दी ही हमें लेने कोई,
आखें मेरी हैं नहीं, तो क्या सोई क्या रोई,
पर अगर कोई व्यक्ति विशेष नहीँ आया लेने,
इंतज़ार के पड़ जाएंगे लेने के देने,
आसमान से दिखता था सारा जहाँ,
पर अब कटी-पतंग, लटकती यहाँ |
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